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Story of King David : जन्म, बच्चपन और चुनौतियों का समाना

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Praise The Lord. राजा दाऊद की कहानी, Story of King David : जन्म, बच्चपन और चुनौतियों का समाना यानी राजा दाऊद की संघर्षगाथा.

दाऊद राजा की महानता से हर कोई परिचित होगा. वह कोई साधारण इस्राएली नहीं था; वह इस्राएल का राजा था, जिसके पास हैसियत और शक्ति दोनों थे, उसने इस्राएल पर 40 साल तक राज्य किया. यह कहा जाता है कि, प्राचीन काल से लेकर आज तक, कोई भी राजा दाऊद से आगे नहीं निकल पाया है. और ऐसा इसलिए क्योंकि वह परमेश्वर के मार्ग पर चला था, उसका भय मानता था.

पर क्या आप जानते है, इस्राएल का राजा बनने से पहले दाऊद को किन परिस्थियों का सामना करना पड़ा? अगर नहीं तो आज हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि, एक राजा बनने से पहले दाऊद को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? और उसने कैसा जीवन जीया, जो परमेश्वर ने उसे एक राजा के रूप में चुना?

Story of King David : जन्म, बच्चपन और चुनौतियों का समाना

राजा दाऊद का जन्म

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बाइबल में राजा दाऊद के जन्म और बचपन के बारे में कहीं जिक्र नहीं किया गया, लेकिन इतिहास बताता है, कि उनका जन्म विवादास्पद परिस्थितियों में हुआ था. ऐतिहासिक स्रोत से, ये जान सकते है कि उनका जन्म नित्ज़ेवेट द्वारा यिशै से हुआ था. दाऊद के पिता, यिशै, बोअज़ और रूथ के पोते थे (बाइबिल में दाऊद के मां के नाम का जिक्र नहीं किया गया, लेकिन जो ऐतिहासिक और वास्तविक है उसे हमने यहाँ नित्ज़ेवेट के रूप के उल्लेख किया हैं.)

यिशै ने सैनहेड्रिन (टोरा कानून का सर्वोच्च न्यायालय) के प्रमुख के रूप में कार्य किया था, और अपनी पीढ़ी के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक थे. और उसका परिवारी शाही परिवार था. अपने जीवन के एक पड़ाव पर, उन्हें एहसास हुआ कि, परंपरा के अनुसार, वह नित्ज़ेवेट (दाऊद की माँ) से शादी करने के योग्य नहीं थे. न्यायपालिका के एक सदस्य के रूप में, उनका मानना ​​था कि स्थिति का निवारण करना उनका नैतिक कर्तव्य था, भले ही उनकी शादी को कई साल हो गए थे और उन्हें 7 बच्चों का आशीर्वाद भी मिला था. इसके आधार पर, उन्होंने क्षतिपूर्ति करने का निर्णय लिया और वह नित्ज़ेवेट से अलग हो गए.

यिशै के पास जातीय पृष्ठभूमि वाली एक घरेलू नौकरानी थी, जो उसे उसके साथ संबंध बनाने के लिए अयोग्य नहीं ठहराती थी. इसलिए, उसने उसके साथ संबंध की योजना बनाई और वह तुरंत सहमत हो गई. हालाँकि, नौकरानी के मन में नित्ज़ेवेट के लिए एक आदर भाव था, उसे अपनी मालकिन नित्ज़ेवेट की पीड़ा का एहसास था. वह नित्ज़ेवेट के इतने सालों तक अपने पति से अलग रहने के दर्द को समझती थी और उसकी दुर्दशा के प्रति सहानुभूति थी.

सहानुभूतिपूर्ण नौकरानी ने गुप्त रूप से नित्ज़ेवेट से संपर्क किया और उसे यिशै की योजना के बारे में बताया, और एक साहसिक प्रतियोजना का सुझाव दिया. नौकरानी ने रेचेल और लिआ की कहानी से प्रेरित होकर, नित्ज़ेवेट के साथ उस भयानक रात में उसके साथ जगह बदलने की योजना बनाई. और योजना काम कर गई.

तीन महीने के बाद, नित्ज़ेवेट गर्भवती पाई गई. जब पति और अन्य बच्चों को अपने मां के गर्भावस्था के बारे में पता चला, तो उन्होंने सोचा कि उसने व्यभिचार किया है, जो एक ऐसा अपराध था जिसकी सजा मौत थी. तब क्रोधित होकर, उसके बेटे अपनी स्पष्टतः व्यभिचारी माँ और उसके गर्भ में पल रहे “नाजायज” भ्रूण को मार डालना चाहते थे. लेकिन नित्ज़ेवेट, अपनी ओर से, जो कुछ हुआ था उसकी सच्चाई का खुलासा करके अपने पति को शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी, इसीलिए अपनी पूर्वज तामार की तरह, जो यहूदा को शर्मिंदा करने के बजाय जिंदा जलाए जाने के लिए तैयार थी, नित्जेवेट ने मौन व्रत चुना.

अपनी पत्नी की गर्भावस्था के पीछे की सच्चाई से अनजान, लेकिन उस पर दया करते हुए, यिशै ने अपने बेटों को उसे न छूने का आदेश दिया. उन्हें कहा गया कि, “उसे मत मारो! इसके बजाय, जो बच्चा पैदा होगा उसके साथ एक नीच और तिरस्कृत नौकर के समान व्यवहार किया जाए. इस तरह हर किसी को एहसास होगा कि उसकी स्थिति संदिग्ध है और, एक नाजायज संतान के रूप में, वह किसी इस्राएली से शादी नहीं करेगा.”

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दाऊद का बच्चपन

दाऊद के जन्म के समय से ही, उसके भाई उसके साथ घृणित, तिरस्कारपूर्ण व्यवहार करते थे. उसके भाइयों के आचरण को देखकर, समुदाय के बाकी लोगों ने मान लिया कि यह युवक अकथनीय अपराध बोध से भरा एक विश्वासघाती पापी था.

दाऊद को अपने परिवार के बाकी सदस्यों के साथ खाने की अनुमति नहीं थी, बल्कि उसे कोने में एक अलग मेज दी गई थी. यही नहीं उसे चरवाहे का काम दिया गया था क्योंकि “उन्हें उम्मीद थी कि जब वह अपना कर्तव्य निभा रहा होगा तो कोई जंगली जानवर आएगा और उसे मार डालेगा,” और इस कारण से उसे शेरों और भालुओं से भरे खतरनाक क्षेत्रों में चरागाह में भेज दिया गया था.

कभी-कभार जब दाऊद चरागाहों से अपने घर बेथलहम लौटता था, तो नगरवासी उसे त्याग देते थे. और नगर में यदि कुछ खो जाता है या चोरी हो जाता है, तो उस पर अपराधी के रूप में आरोप लगाया जाता था.

यहाँ हम भजन सहिंता अध्याय 69 का जिक्र करेंगे,

1.हे परमेश्वर, मेरा उद्धार कर, मैं जल में डूबा जाता हूं।
2. मैं बड़े दलदल में धसा जाता हूं, और मेरे पैर कहीं नहीं रूकते; मैं गहिरे जल में आ गया, और धारा में डूबा जाता हूं।
3. मैं पुकारते पुकारते थक गया, मेरा गला सूख गया है; अपने परमेश्वर की बाट जोहते जोहते, मेरी आंखे रह गई हैं॥
4. जो अकारण मेरे बैरी हैं, वे गिनती में मेरे सिर के बालों से अधिक हैं; मेरे विनाश करने वाले जो व्यर्थ मेरे शत्रु हैं, वे सामर्थी हैं, इसलिये जो मैं ने लूटा नहीं वह भी मुझ को देना पड़ा है।
5. हे परमेश्वर, तू तो मेरी मूढ़ता को जानता है, और मेरे दोष तुझ से छिपे नहीं हैं॥
6. हे प्रभु, हे सेनाओं के यहोवा, जो तेरी बाट जोहते हैं, उनकी आशा मेरे कारण न टूटे; हे इस्राएल के परमेश्वर, जो तुझे ढूंढते हैं उनका मुंह मेरे कारण काला न हो।
7. तेरे ही कारण मेरी निन्दा हुई है, और मेरा मुंह लज्जा से ढंपा है।
8. मैं अपने भाइयों के साम्हने अजनबी हुआ, और अपने सगे भाइयों की दृष्टि में परदेशी ठहरा हूं॥
9. क्योंकि मैं तेरे भवन के निमित्त जलते जलते भस्म हुआ, और जो निन्दा वे तेरी करते हैं, वही निन्दा मुझ को सहनी पड़ी है।
10. जब मैं रोकर और उपवास करके दु:ख उठाता था, तब उससे भी मेरी नामधराई ही हुई।
11. और जब मैं टाट का वस्त्र पहिने था, तब मेरा दृष्टान्त उन में चलता था।
12. फाटक के पास बैठने वाले मेरे विषय बातचीत करते हैं, और मदिरा पीने वाले मुझ पर लगता हुआ गीत गाते हैं।

यह स्तोत्र एक गरीब, तिरस्कृत और दीन व्यक्ति के जीवन का वर्णन करता है, जिसके पास सांत्वना देने के लिए कोई नहीं हैं. यह एक पीड़ित आत्मा की आवाज़ है जिसने अनगिनत अपमान का अनुभव किया है. बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, वह शत्रुओं से घिरा हुआ है जो उसे ख़त्म करना चाहते हैं; यहाँ तक कि उसके अपने भाई भी उसके लिये पराये हैं, और उसे उजाड़ते और उसकी निन्दा करते हैं.

आपको बता दे कि, यह भजन, जिसमें राजा दाऊद भावुक होकर अपनी आत्मा के सबसे भारी बोझ को आवाज देते हैं, उनके बचपन से लेकर भविष्यवक्ता सैमुअल द्वारा इज़राइल के लोगों के राजा के रूप में राज्याभिषेक किए जाने तक, अट्ठाईस साल की अवधि को संदर्भित करता है.

उस समय सिर्फ दाऊद की मां ही एक ऐसी व्यक्ति थी जो उसकी दुर्दशा को समझ सकती थी. और जो पीड़ा दाऊद को उठानी पड़ती थी उसे देखकर वह मन ही मन दुःख मह्सूस करती थी. क्योंकि उसने अपने बच्चे के लिए प्यार का गहरा और बिना शर्त प्यार का बंधन महसूस किया था. और वह अकेली जानती थी कि वह व्यभिचार से नहीं बल्कि निस्संदेह शुद्ध है. और इस उम्मीद से जीती थी कि एक दिन न्याय मिलेगा.

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दाऊद का अभिषेक

उस समय परमेश्वर इजराइल के राजा शाऊल से अप्रसन्न हुए, क्योंकि उसने परमेश्वर के नियमों को तोड़ा था, परमेश्वर के पीछे चलना छोड़ दिया था और उसकी आज्ञाऐ नहीं मानी थी. इसलिए परमेश्वर ने शमूएल को बताया कि उसने राजा शाऊल के स्थान पर किसी को चुना है. और परमेश्वर ने शमुएल को बेथलहम को जाने को कहा, लेकिन शमुएल वहां जाने के लिए अनिच्छुक था.

अत: शमूएल ने वही किया जो परमेश्वर ने कहा था. उसने यिशै और उसके पुत्रों को बलिदान देने के लिए अपने साथ आने के लिए आमंत्रित किया.

जैसे ही शमूएल की नज़र यिशै के सबसे बड़े बेटे पर पड़ी, उसे यकीन हो गया कि यही इसराइल का भावी राजा था. वह लंबा, सुंदर और प्रतिष्ठित था जिसे सैमुअल अभिषेक करने के लिए तैयार था, परंतु परमेश्वर उसे रोका. उसे बहार से नहीं अंदर से देखने को कहा.

एक के बाद एक ऐसे यिशै के सभी बेटे शमुएल के सामने से गए पर परमेश्वर ने उनमें से किसी को नहीं चुना. बाद में शमुएल ने पूछा, “क्या ये सभी लड़के हैं?” यिशै ने उत्तर दिया, “एक छोटा बेटा है; वह भेड़ों की देखभाल कर रहा है.” यिशै की नज़र में दाऊद की हैसियत छोटी थी. वह उम्मीद कर रहा था कि सैमुअल दाऊद को परेशानी से बचाकर दूर चरागाहों में भेड़ चराने के लिए वहीं रहने देगा जहां वह था.

परन्तु शमूएल ने आदेश दिया कि दाऊद को तुरन्त भोज में बुलाया जाए. दाऊद के पास एक दूत भेजा गया, जैसे ही दाऊद आया, शमूएल ने उसे देखा, जिसका रंग लाल था, उसके बाल लाल थे, उसकी आँखें सुंदर थीं और वह देखने में सुंदर था. दाऊद की शारीरिक बनावट उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं की ओर इशारा करती थी. उसका अशिष्टता एक युद्धप्रिय स्वभाव का संकेत देता था, जबकि उसकी आंखें और सामान्य रूप दयालुता और सज्जनता का संकेत देता था.

सबसे पहले शमूएल को संदेह हुआ कि क्या दाऊद राजत्व के योग्य हो सकता है, राजवंश का अग्रदूत जो यहूदी लोगों को समय के अंत तक ले जाएगा. उसने मन में सोचा, “यह लाल सिर वाले एसाव की तरह खून बहाएगा.”

हालाँकि, परमेश्वर ने देखा कि दाऊद की महानता यह थी कि वह अपनी आक्रामकता को सकारात्मक लक्ष्यों की ओर निर्देशित करेगा. परमेश्वर ने शमूएल को आज्ञा दी, कि मेरा अभिषिक्त तेरे साम्हने खड़ा है, और तू बैठा रहे? उठो और अविलंब दाऊद का अभिषेक करो! क्योंकि मैंने उसे ही चुना है!” और शमुएल ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दाऊद का अभिषेक किया.

जैसे ही शमुएल ने दाऊद का अभिषेक किया, घर के अन्दर से रोने की आवाज़ सुनाई जाने लगी. यह दाऊद की मां की आवाज़ थी, जो दाऊद का एकमात्र सहायक और सांत्वना का एकमात्र स्रोत था.

वह जानती थी कि, अपमान के सामने उसकी अट्ठाईस वर्षों की लंबी चुप्पी आखिरकार ख़त्म होने वाली थी. आख़िरकार, सभी देखेंगे कि उसके सबसे छोटे बेटे का वंश शुद्ध था, किसी भी दोष से निष्कलंक. अंततः, वह पीड़ा और अपमान जो उसने और उसके बेटे ने सहा था, समाप्त हो जाएगा.

परमेश्वर के पास दाऊद के लिए एक योजना थी. मनुष्य के लिए अज्ञात, उसने पहले ही उसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चुन लिया था जो उसके दिल के करीब होगा. और कोई भी व्यक्ति उसे बदल या रोक नहीं सकता था.

सिख

राजा दाऊद परमेश्वर का अभिषिक्त दास था. बच्चपन से ही दाऊद को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह परमेश्वर के साथ बढ़ता गया. दाऊद की यह कहानी सिख देती है कि, भले घर में परिवार में हमें दुर्व्यवहार का सामना करना पड़े लेकिन हमें उनके साथ नम्रता से पेश आना हैं. कहीं पर भी जब कोई निंदा करे, तो प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को महत्व देने और दूसरे को शर्मिंदा करने से बचने का आवश्यक सबक देती है दाऊद की यह कहानी.

यहीं नहीं परमेश्वर पर भरोसा रखकर आगे बढ़ना हैं, ताकि वह हर संकट का, किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने में धेर्य, साहस और प्रेम के साथ आगे बढ़ने में मदद कर सके. और जब परमेश्वर की आज्ञानुसार जीवन जीते हैं, तब वह हमे कल्पना से परे हमारी सोच से भी उपर लेकर खड़ा कर देता है, जैसे दाऊद के साथ हुआ.

यानी प्रतिकूल परिस्थितियों में हमारे धैर्य, साहस, विश्वास एवं कौशल की परीक्षा होती है और परमेश्वर का स्मरण स्वत: होता है. कभी कभी तो सिर्फ उसी का सहारा रहता है. विलंब से भले ही हमारा धैर्य टूटने लगे, आशंका-आक्रोश बढ़ने लगे, विश्वास डगमगाने लगे, किंतु अंततः परमेश्वर हमे विजय देता है.

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Note : यह लेख बाइबिल अभ्यासकों के विचारों और ऑनलाइन मौजूद सामग्री से लिया गया है. बाइबिल में राजा दाऊद के जन्म और बच्चपन के बारे में कहीं नहीं बताया गया है. इस लेख का मुख्य स्रोत The-Jewish-Woman पर मौजूद है.

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