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दुखों में भी परमेश्वर के साथ वफादार रहने की सीख देती यह कहानी | Job Bible Story in Hindi

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Praise The Lord. [ Job Bible Story in hindi, Bible Sotry of job अय्यूब की कहानी ] जब कोई किसी संकट का सामना करता है, कोई बिकट परिस्थितियों में से गुजरता हैं, तब वह हताश निराश रहता हैं. क्या करे क्या ना करे इन विचारों में खोया रहता हैं. ऐसी हालातों में उसका खुद पर से ही नहीं परमेश्वर पर से भी विश्वास उड़ जाता हैं. वह खुद को अकेला महसूस करता हैं. परमेश्वर की मैं इतनी सेवा करता हूँ, हर वक्त सेवा में तत्पर रहता हूँ, फिर भी परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया, परमेश्वर अच्छे लोगों को ही इस हालात में कैसे देख सकता हैं? इन विचारों से मन विचलित रहता हैं. और जो बातें उसे परमेश्वर से दूर ले जाती है उन्हें करता जाता हैं.

पर दुखों में, संकट-मुसीबतों में, बिकट परिस्थितियों में कैसे जीवन जीना हैं ये सिखाती है अय्यूब की कहानी. अय्यूब की कहानी आपको धीरज के साथ परमेश्वर पर भरोसा करने को, दुखों में भी परमेश्वर के साथ वफादार रहने की प्रेरणा देती हैं. अय्यूब के धीरज को लेकर याकूब 5:11 में लिखा है,

“देखो, हम धीरज धरने वालों को धन्य कहते हैं: तुम ने अय्यूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्त करूणा और दया प्रगट होती है.”

Job Bible Story in Hindi
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तो इस लेख में हम परमेश्वर का सबसे वफादार भक्त अय्यूब की कहानी से रूबरू होंगे. और जानेंगे कि, अय्यूब का जीवन हमें क्या सीख देता हैं.

अय्यूब की कहानी | Job Bible Story in Hindi

अय्यूब का जीवन और संपति

अय्यूब ऊज़ देश का रहनेवाला था, जो कनान के पास ही था. अय्यूब एक ऐसा आदमी था, जो यहोवा का सबसे वफादार सेवक था. अय्यूब खरा और सीधा था, यहोवा का भय मानता और बुराई से दूर रहता था. इसलिए यहोवा, अय्यूब से बहुत प्यार करता था. परमेश्वर ने अय्यूब को हर बातों में आशीषित किया था. उस समय पूरी धरती पर सिर्फ वही एक ऐसा व्यक्ति था, जो सबसे अमीर था. क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था.

अय्यूब के सात बेटे और तीन बेटियां थी. वहीं अय्यूब के पास सात हजार भेड़–बकरियाँ थी. इसके अलावा तीन हज़ार ऊँट, पाँच सौ जोड़ी बैल, और पाँच सौ गदहियाँ थी. साथ ही बहुत सारे दास-दासियाँ थी. ऐसे अय्यूब की संपति विशाल थी और उसका परिवार बड़ा था.

अय्यूब के बेटे बारी–बारी से एक दूसरे के घर में खाने–पीने को जाया करते थे; और अपनी तीनों बहिनों को अपने संग खाने–पीने के लिये बुलवा भेजते थे. जब जब भोज के दिन पूरे हो जाते, तब तब अय्यूब उन्हें बुलवाकर पवित्र करता, और बड़े भोर को उठकर उनकी गिनती के अनुसार होमबलि चढ़ाता था; क्योंकि अय्यूब सोचता था, “कदाचित् मेरे लड़कों ने पाप करके परमेश्‍वर को छोड़ दिया हो.” इसी रीति अय्यूब सदैव किया करता था.

अय्यूब के इस कार्य से ही पता चलता है की, वह परमेश्वर का कितना वफादार सेवक था, वह परमेश्वर का कितना भय मानता था. मगर कोई और था, जो परमेश्वर और अय्यूब के इस रिश्ते से विचलित होता था. और अय्यूब से नफरत करता था. जानते हैं कौन? परमेश्‍वर का दुश्‍मन, शैतान. जिसने आदम और हव्वा को परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ने के लिए बहकाया था. इसलिए उसे लगा कि वह बाकी सब लोगों से भी परमेश्‍वर की आज्ञा तुड़वा सकता है. मगर क्या वह ऐसा कर पाया? जी नहीं.

परमेश्वर के सामने शैतान की हजेरी

एक दिन यहोवा परमेश्‍वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया.

यहोवा ने शैतान से पूछा, “तू कहाँ से आता है?”

शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “पृथ्वी पर इधर–उधर घूमते–फिरते और डोलते–डालते आया हूँ.”

यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है.”

शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “क्या अय्यूब परमेश्‍वर का भय बिना लाभ के मानता है? क्या तू ने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बाँधा? तू ने तो उसके काम पर आशीष दी है, और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है. परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा.”

यहोवा ने शैतान से कहा, “सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना.” तब शैतान यहोवा के सामने से चला गया.

यहाँ गौर करने वाली एक बात हैं, अय्यूब की वफ़ादारी से उनका और परमेश्वर का रिश्ता इतना मजबूत बना था कि, शैतान भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था. परमेश्वर के अनुमति बिना शैतान अय्यूब के किसी वस्तु को छू तक नहीं सकता था.

परमेश्वर और शैतान के इस सवांद के बाद हरेक के मन में ये सवाल जरुर उत्पन होगा कि, अय्यूब परमेश्वर का परम प्रिय है, वह उसकी हर आज्ञा मानता है, वह हर प्रकार की बुराई से दूर रहता है फिर भी यहोवा परमेश्वर ने अय्यूब का जो कुछ है वह सब शैतान के हाथों में क्यों सौप दिया? इस प्रश्न का जवाब सरल है जिसे आपको खोजना हैं.

अय्यूब के बच्चे और संपति का नाश

शैतान जैसे ही परमेश्वर के सामने से चला जाता हैं, वह अय्यूब को पटकनी देने की फिराक में रहता है. फिर एक दिन ऐसा ही आता है कि, शैतान अय्यूब के जीवन में तहलका मचा देता हैं. क्या आप जानते हैं शैतान ने क्या किया? शैतान ने एक ही दिन में अय्यूब का जो कुछ है सब छीन लिया.

सबसे पहले, उसने कुछ लोगों के ज़रिए अय्यूब के ऊँटों और गाय-बैलों की चोरी करवा दी और उसकी भेड़ें मार डालीं. उसके बाद वह एक भयानक तूफान लाया, जिसमें अय्यूब के 10 बेटे-बेटियाँ मर गए. जैसे ही ये बाते अय्यूब को सुनने को मिलती हैं, हताश-निराश अय्यूब अपने वस्त्र फाड़कर भूमिपर गिर पड़ता हैं. पर जो घटित हुआ उसके लिया वह ना परमेश्वर को या अन्य किसी को दोष देता हैं.

वह परमेश्वर से दण्डवत् करके कहता है, ““मैं अपनी माँ के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊँगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है.” यहाँ अय्यूब परमेश्वर के सामने निर्दोष साबित होता हैं. और शैतान को मात देता हैं. शैतान जैसा सोचता है, उसके विपरीत होता हैं. और शैतान फिर तिलमिला उठता हैं.

दूसरी बार परमेश्वर के सामने शैतान की हाजेरी

शैतान ने अय्यूब का जो कुछ था वह सब नाश कर दिया यहाँ तक की उसके बेटे-बेटियों तक को नहीं छोड़ा, परंतु अय्यूब ने परमेश्वर को दोष देने के बदले उसे धन्य कहाँ. यह देखकर हताश शैतान एक बार फिर से परमेश्वर के सामने उपस्थित होता हैं. और इस बार परमेश्वर से कहता हैं,

“खाल के बदले खाल; परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है. इसलिये केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियाँ और मांस छू, तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा. और इस वक्त वह अय्यूब के शरीर को हानि पहुँचाने की अनुमति लेता हैं.

उसके बाद वह अय्यूब पर एक बहुत बड़ी बीमारी ले आता है. शैतान ने अय्यूब को पाँव के तलवे से लेकर सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया. इस तरह अय्यूब को एक के बाद एक कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा.

अय्यूब की पत्नी और मित्र

पहले संपति का नाश और बच्चों का मारा जाना और अब अय्यूब को फोड़ो से पीड़ित देखकर उसकी पत्नी उससे कहती हैं, ““क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्‍वर को बुरा-भला कह, और चाहे मर जाए तो मर जा.”

मगर अय्यूब ने ऐसा नहीं किया, परंतु वह अपनी पत्नी से कहता हैं, “तू निर्बुद्धि स्त्रियों की तरह क्यों बातें करती हो. क्या हम जो परमेश्‍वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें?” ऐसा कहकर अपने उपर आये इस संकट को सहने की कोशिश करता है.

अय्यूब के जीवन में आए इन आपदाओं के बारे में उसके दोस्तों को पता चलता हैं, और वे अय्यूब के इस दुख में शामिल होकर उसे सांत्वना देने के लिए उसे मिलने आते हैं. जब वे दूर से फोड़ों से पीड़ित अय्यूब को देखते है, तो चिल्लाकर रो पड़ते हैं, और अपने वस्त्र फाड़कर अय्यूब जैसी हालात में ही जमीं पर बैठ जाते हैं. और सात दिन तक कोई कुछ नहीं बोलता, क्योंकि अय्यूब का दुःख उन्हें देखा नहीं जाता था.

पर अय्यूब को दिलासा देने आये उनके दोस्त जब अपना मुहं खोलते हैं, तब सांत्वना देने के बदले वे उसे दोष देते हैं. उन्होंने उससे कहा, ‘तुमने ज़रूर बुरे-बुरे काम किए होंगे, इसीलिए तुम पर इतनी तकलीफें आयी हैं.’ अपनी पत्नी और दोस्तों के इन सब बातों को सुनने के बावजूद अय्यूब के मुँह से एक भी गलत बात नहीं निकली. और वह परमेश्वर के सामने निर्दोष बना रहा.

परमेश्वर ने अय्यूब को पुन आशीषित किया

इतने बड़े संकट के बावजूद अय्यूब परमेश्वर के प्रति वफादार रहा. अय्यूब के बारे में जो बातें परमेश्वर ने कहीं थी(अय्यूब 2;3) उस पर वह खरा उतरा. और धीरज के साथ परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखा. यह देखकर परमेश्वर बहुत खुश हुआ. और उसका सारा दुःख दूर किया. साथ ही जितना अय्यूब के पास पहले था, उसका दुगना परमेश्वर ने उसे आशीषित किया.

अय्यूब को सात हजार भेड़-बकरियाँ के बदले चौदह हजार भेड़-बकरियाँ, तीन हजार ऊँट के बदले छह हजार ऊँट, पाँच सौ जोड़ी बैल के बदले हज़ार जोड़ी बैल, और पाँच सौ गदहियों के बदले हज़ार गदहियाँ दिया. उनके सात बेटे और तीन बेटियां उत्पन्न हुई. अय्यूब को इतनी खुबसूरत बेटियाँ दिया कि, उस सारे देश में ऐसी स्त्रियाँ कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों के समान सुन्दर हों. और और परमेश्वर ने अय्यूब को दीर्घायु दिया. वह चार पीड़ी तक अपने वंश को देख पाया.

सीख (Conluson)

परमेश्‍वर के प्रति हमारा दायित्व यह है कि हम दुखों में भी परमेश्वर के साथ वफादार रहे, उसकी आज्ञा का पालन करें, उस पर विश्‍वास करें और उसकी इच्छा के अधीन हो जाएँ. जब हम ऐसा करते हैं, तब हम अपनी परीक्षाओं के मध्य में परमेश्‍वर को पाएंगे. हम और अधिक स्पष्ट रूप से अपने परमेश्‍वर की महिमा को देखेंगे, और अय्यूब के साथ कह उठेंगे, “मैं ने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं” (अय्यूब 42:5).

तो क्या आप भी अय्यूब की तरह सच्चे और वफादार इंसान बनेंगे? अगर हाँ, तो परमेश्‍वर आपको भी आशीष देगा. और जब यह पूरी धरती, अदन बगीचे की तरह ही खूबसूरत हो जाएगी, तब आप वहाँ हमेशा-हमेशा के लिए जी सकेंगे.

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