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प्रियों आज दुनिया में हर कोई अमीर बनने की रेस में दौड़ रहा हैं. और इसके लिए अलग अलग तरीके अपनाए जाते हैं, ताकि जल्द से जल्द अमीरी का स्वाद चख सके. पर क्या एक मसीही को इस रेस में दौड़ना चाहिए. यानी अमीर बनने के ख्वाब देखने चाहिए.
प्रियों अमीर बनना कोई बुरी बात नहीं हैं. और किसी अमीर से परमेश्वर का कोई दुश्मनी भी नहीं है. लेकिन धन का लालच आपको हर वह दुष्कर्म करवा सकता हैं, जो आपको प्रभु येशु मसीह से दूर ले जाता हैं. 1 कुरिंथियो 6:9,10 में लिखा है.
“पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुत सी व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं. क्योंकि धन का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने के लिये कितनों ने विश्वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है.”
प्रियों यहाँ सिर्फ धन का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि जो धनी होना चाहते हैं, जिसके मन में धन की लोभ है उनके बारे में बताया गया हैं. लोभ यानी आवश्यकता से भी अधिक पाने की लालसा. और आवश्यकता से अधिक पाने की लालसा में मनुष्य अनैतिक बन जाता है. और गलत-काम करने लगता है. वह उन रास्तों पर चल पड़ता हैं, जिसका अंत विनाश की ओर जाता हैं.
प्रियों अब आप ही सोचिए जब किसी के पास बहुत अधिक पैसा होता हैं, तब वे क्या करते है. घमंड में जीते हैं. ये लेना, वो लेना हैं, यहाँ जाना, वहां जाना सोचते रहते हैं. यहाँ तक की बराबर वालों के साथ रिश्ता बनाए रखते हैं, और दूसरों से दुरी बना लेते हैं. यही नहीं परमेश्वर को भी याद करना भूल जाते हैं. और अपने इच्छाओं के अनुसार जीवन जीते जाते हैं. प्रियों यही बातें तो है जो उन्हें विनाश के समुद्र में डूबा देती है.
तो प्रियों अब आप सोचते होंगे कि, तो फिर एक मसीही को क्या करना चाहिए. ताकि वह इतने पैसे कमा सके की अपनी हर आवश्यकताओं को पूरा कर सके और प्रभु येशु मसीह में भी बना रहे. तो आज के इस लेख के माध्यम से हम इसी बात पर चर्चा करेंगे.
How to get rich according to the Bible
प्रियों जब तक परमेश्वर ने हमें दुनिया में रखा है, तब तक हमें अपनी जरुरी आवश्यकताओं को पूरा करना ही पड़ेगा. और इसके लिए पैसा जरुरी हैं. घर चलाने के लिए, बच्चों की फीस के लिए, छोटी बड़ी वस्तु खरीदने के लिए, और भी बहुत कुछ. यानी हमें रोटी, कपड़ा और मकान के लिए पैसों की आवश्यकता जरुर पड़ती हैं. लेकिन क्या हमें इसके लिए चिंता करते बैठना चाहिए, नहीं, हमें अपनी आवश्यकताओं को परमेश्वर पर छोड़ देना चाहिए. क्योंकि वह सब जानता हैं कि, हमें कब किस चीज की जरूरत हैं. मत्ती 6:31-32 में येशु मसीह कहते हैं,
“इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहिनेंगे. क्योंकि अन्यजातीय इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, पर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है.
यही नहीं भजन सहिंता 34; 10 में लिखा हैं,
“जवान सिंहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं,
परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होगी.”
प्रियों इन वचनों से हम सिख सकते हैं कि, हमारा स्वर्गीय पिता जिस पर हम भरोसा करते हैं, वह हमारी हर कमी घटी को पूरा करेगा. वह हमारी हर जरूरतों को जानता हैं, और ये भी जानता है हमें कब किस वस्तुओं की जरुरत पड़ेगी. बस हमें प्रभु येशु मसीह पर विश्वास करते हुए जीवन जीना हैं. और तब वह हमारी हर जरूरतों को समय पर अवश्य पूरा करेगा, क्योंकि वह अपने वादों से पीछे नहीं हटता. हमें सिर्फ उसकी आज्ञाओं को मानते हुए उसके इच्छा के अनुसार जीना हैं. फिर देखना वह कैसे हमारी हर कमी घटी को पूरा करता हैं. वह हमें उन सभी चीजों से भरपूर करता हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. फिलिप्पियों 4:19 में लिखा हैं,
और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा.”
यही नहीं 2 कुरिन्थियों 9:8 में लिखा हैं,
“और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो.”
तो प्रियों परमेश्वर इतना सक्षम हैं कि, वह अपने भंडार से हमें देता हैं. वह सब बातों का स्रोत हैं. परमेश्वर अपने डरवैयों को वो सब देता हैं, जो उसे जरुरी हैं. क्योंकि वह हमारा पिता है, और एक पिता कभी भी अपने बच्चों को किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने देता. वह समय पर भजन खिलाता हैं, अच्छे अच्छे कपडें पहनता हैं, सर छुपाने के लिए खूबसूरत घर देता हैं. और क्या चाहिए. इसी का तो अमीर-गरीब दोनों को जरूरत पड़ती हैं.
यहाँ मैं आपके सामने कुछ डाटा रखना चाहूँगा, दुनिया में आज लगबग 8.12 बिल्लियन लोग हैं. जिसमें ईसाई लोग लगबग 30 प्रतिशत हैं. और एक स्टडी के मुताबिक दुनिया की कुल संपति में से सबसे ज्यादा संपति ईसायों के पास हैं. ईसायों के पास दुनिया की कुल संपति में से करीब 55 प्रतिशत संपति हैं. यानी आधी से भी ज्यादा. यही नहीं, दुनिया में जितने अमिर लोग हैं, उसमें भी सबसे ज्यादा 56.2 प्रतिशत ईसाई लोग हैं. यानी यहाँ भी आधे से ज्यादा.
तो प्रियों इससे ये साबित होता हैं कि, परमेश्वर अपने लोगों को हर प्रकार की आशीषों से भरपूर करता हैं. वह उन्हें रोज की आवश्यक वस्तुओं तक ही सिमित नहीं रखता पर उन्हें अमीर भी बनाता हैं. वह उसके डरवैयों को पूंछ नहीं बल्कि सिर बनाता हैं.
बाइबिल में भी हमें कई उदाहरण मिलते हैं, जो अमीर लोगों को दर्शाते हैं. जैसे अब्राहम (उत्पत्ति 13:2), इसहाक (उत्पत्ति 26:12), यूसुफ (उत्पत्ति 41:37-44), दाऊद (2 शमूएल 7:9), सुलैमान (1 राजा 10:14-25) अय्यूब(अय्यूब 1;4) और भी कई.
इन सभी को परमेश्वर ने खूब आशीष दी थी, इतनी की अपने अपने टाइम में वे सबसे अमीर थे. उत्पत्ति 13:2 में कहा गया है, “अब्राम भेड़-बकरी, गाय-बैल, और सोने-रूपे का बड़ा धनी था” ध्यान दें, अब्राम केवल धनी नहीं था, बल्कि “बड़ा/बहुत धनी” था.; अब इनके अमीर होने के पीछे का राज क्या था, यही की परमेश्वर की आज्ञाओं को मानना और उसकी इच्छा के अनुसार जीवन जीना.
यानी प्रियों जब हम परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हुए, उसके अनुसार जीवन जीते हैं, तब वह हमें संभालता ही नहीं बल्कि हर प्रकार के आशीषों से भी भर देता हैं. अगर आपको आशीषित होना हैं तो उस पर भरोसा कर के जीना चाहिए. मत्ती 6:33 में लिखा हैं,
“इसलिये पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी.”
प्रियों इस वचन के अनुसार हमें परमेश्वर के राज्य का खोज करना हैं, और उसने जो बातें बताई हैं उस पर चलते हुए, धर्मी बने रहना हैं. तब वह हमें जरुर आशीषित करेगा. दुनिया में जो भी वस्तुओं की जरूरत होगी वह जरुर पूरा करेगा. और रोमियों 10:11 के अनुसार, वह हमें किसी भी चीज में लज्जित न होने देगा. यहाँ लिखा हैं,
“क्योंकि पवित्र शास्त्र यह कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा.”
तो प्रियों परमेश्वर धन संपति के विरुद्ध में नहीं हैं. और ना ही अमीरों से नफरत करता हैं. पर वह उन्हें चेतावनी देता हैं, जो अमीर बनने के लिए ख्वाब देख रहे हैं. जिनके मन में धन का लोभ हैं. क्योंकि वे ना तो सच्चाई के साथ रह सकते हैं, और ना ही अपना मन शुद्ध रख सकते हैं. इसीलिए मरकुस 10:25 में प्रभु येशु मसीह ने कहा हैं.
“परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है”
ये सोचने वाली बात है कि, अगर परमेश्वर अपने लोगों को धनी बनाता हैं, तो फिर प्रभु येशु ऐसा क्यों कहते हैं.
तो इसका जवाब ये होगा कि, जितना अधिक धन किसी के पास होता है, उतना ही अधिक अपनी स्वार्थी इच्छाओं को पूरा करने का अवसर उसके पास होता हैं. वे परमेश्वर पर भरोसा करने के बजाय अपने धन पर निर्भर रहते हैं. इतना ही नहीं धन-संपत्ति के प्रति प्रेम रखने वाले लोग अपने आप को अधूरा पा सकते हैं और कई तरह के पापों की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं.
धन संपति की चाह रखने वाले व्यक्ति में परमेश्वर के बजाय अपने धन पर भरोसा करने की प्रवृत्ति होती है. धन व्यक्ति में घमंड को बढ़ावा देता है क्योंकि व्यक्ति इसे इकट्ठा करने के लिए बहुत चतुर होने के साथ साथ खुद की तारीफ करता रहता है. इतना ही नहीं धन हमारे और परमेश्वर के बीच दुरी पैदा कर सकता है.
तो प्रियों अंत में कहना चाहूँगा कि, अगर आपको भी अमीर होना हैं तो, पहले परमेश्वर के राज्य के खोजी बनो, परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हुए उसकी इच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करो. एक दुसरे से प्रेम से जियो, खुद पर घमंड मत करो, विश्वास में मजबूत रहो और निसंदेह होकर परमेश्वर देगा इसी आशा के साथ जीवन में आगे बड़ो.
तब वह आपको भी अब्राहम, इसहाक, दाऊद, सुलैमान और अय्यूब की तरह जरुर धनी बनाएगा.
तो प्रियों हम आशा करते हैं कि, आज के इस लेख के माध्यम से आप ने जरुर नई बात सीखी होंगी. जिसे आप अपने जीवन में लागू करेंगे, और परमेश्वर आपको भी आशीषों से भर देगा.
तो मिलते है अगले विडियो में तब तक प्रभु आपके साथ रहे. धन्यवाद…… आमीन
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