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क्रिसमस की शुरुआत कहाँ से हुई | जाने Christmas history in Hindi

Origin of Christmas in Hindi, क्रिसमस की शुरुआत कहाँ से हुई, Christmas history in Hindi

Praise the Lord. क्रिसमस की शुरुआत कहाँ से हुई (Christmas history in Hindi) — जानिए वह अद्भुत कहानी जब परमेश्वर का प्रेम बेथलेहम में जन्मा(Origin of Christmas in Hindi) यह लेख विस्तार से बताता है कि Jesus birth story वास्तव में क्या है, Christmas history in Hindi के अनुसार 25 दिसंबर को क्रिसमस क्यों मनाया जाता है (25 December Christmas reason), और इस पर्व का गहरा आध्यात्मिक अर्थ (Christmas ka arth kya hai) क्या है।

क्रिसमस की शुरुआत कहाँ से हुई (Christmas history in Hindi)

हर साल दिसंबर की ठंडी हवा में जब घंटियों की मधुर ध्वनि गूँजती है, तो दिल के भीतर एक अनकही शांति उतर आती है। लोग एक-दूसरे को “Merry Christmas” कहते हैं, घरों में रोशनी जगमगाती है, पेड़ सजते हैं, और बच्चे बेसब्री से उपहारों का इंतज़ार करते हैं।

पर अगर हम थोड़ा ठहरें, शोर से परे जाएँ, और गहराई से सोचेंगे, तो पाएँगे कि क्रिसमस कोई त्योहार नहीं, यह प्रेम का जन्म है।

यह वह क्षण है जब परमेश्वर स्वयं मनुष्य बनकर हमारे बीच आया। जब अनंत ने सीमित को अपनाया, जब पवित्रता ने पापी जगत को गले लगाया। यह वह दिन है जब स्वर्ग ने धरती को चूमा, और मानव इतिहास सदा के लिए बदल गया।

पर सवाल है, यह सब कहाँ से शुरू हुआ? कब? और क्यों? क्या यह बस एक धार्मिक परंपरा है? या कोई राजनीतिक घटनाओं का परिणाम? या यह वास्तव में एक दैवीय योजना की पराकाष्ठा है, जो हज़ारों साल पहले आरंभ हुई थी?

आइए, इस रहस्यपूर्ण और अद्भुत यात्रा पर चलें, जहाँ इतिहास, भावना और आत्मा, तीनों एक हो जाते हैं। जानते है Christmas history in Hindi

Christmas meaning in Hindi : “Christ + Mass”

शब्द Christmas दो शब्दों से मिलकर बना है — Christ (मसीह) और Mass (पवित्र याजना या आराधना)। अर्थात्, Christ’s Mass” = मसीह का उत्सव या आराधना।

यह वह दिन है जब ईसाई समाज यीशु मसीह के जन्म का स्मरण करता है, वह क्षण जब परमेश्वर ने मानव रूप में पृथ्वी पर प्रवेश किया। यह केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि प्रेम का अवतार है, जब स्वर्ग ने कहा, “मनुष्य मेरे योग्य है।”

क्रिसमस(Christmas history in Hindi) हमें याद दिलाता है कि आशा कभी मरती नहीं, कि अँधेरे में भी प्रकाश जन्म ले सकता है, और कि सबसे विनम्र जन्म, सबसे महान उद्धार की शुरुआत हो सकता है।

क्रिसमस की जड़ें – स्वर्ग से शुरू हुई एक योजना(Origin of Christmas in Hindi)

क्रिसमस की शुरुआत(Christmas history in Hindi) किसी मानव की कल्पना नहीं थी। यह शुरुआत हुई परमेश्वर के हृदय में।

बाइबल कहती है, क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। (यूहन्ना 3:16)

यही है क्रिसमस का बीज। मानव ने जब पाप में गिरकर परमेश्वर से दूरी बना ली, तब परमेश्वर ने उसे दंड नहीं दिया, उसने एक योजना बनाई उसे वापस अपनाने की।

इस योजना का पहला संकेत हम पुराने नियम में पाते हैं, यशायाह 7:14 में लिखा है: “देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा।”

इम्मानुएल” का अर्थ है — “परमेश्वर हमारे साथ।” यानी यह केवल जन्म की कथा नहीं, बल्कि परमेश्वर की उपस्थिति का वादा है।

बेथलेहम से पहले – भविष्यवाणियों की पवित्र धारा

यीशु का जन्म अचानक नहीं हुआ। यह एक ऐसी धारा थी जो हज़ारों वर्षों से बह रही थी, अब्राहम, दाऊद, यशायाह, मीका, और मलाकी, सभी ने मसीह के आने की भविष्यवाणी की थी।

विशेष रूप से मीका 5:2 कहता है:

“हे बेथलेहम एप्राता, तू यद्यपि यहूदा के हजारों में छोटा है, तौभी तुझ में से मेरे लिए एक निकलेगा जो इस्राएल में प्रभुता करेगा…”

यानी परमेश्वर ने पहले से ही तय किया था कि उद्धारकर्ता एक छोटे, भूले हुए गाँव बेथलेहम में जन्मेगा। और जब समय पूरा हुआ, तब रोम साम्राज्य के शासन में, यह भविष्यवाणी सच हुई, एक छोटी सी गुफा में, जहाँ कोई भी सम्मान की अपेक्षा नहीं करता था, वहाँ राजाओं का राजा जन्मा।

ऐतिहासिक रूप से क्रिसमस कब शुरू हुआ?(Christmas history in Hindi)

यीशु का जन्म लगभग 4–6 ईसा पूर्व (Before Christ) में हुआ माना जाता है। पर “क्रिसमस” यानी यीशु के जन्म का पर्व, बहुत बाद में मनाया जाने लगा।

प्रारंभिक शताब्दियों में ईसाई, यीशु के जन्म पर नहीं, बल्कि उनके पुनरुत्थान (Easter) पर ध्यान देते थे। क्योंकि उनके लिए मसीह का बलिदान और पुनरुत्थान ही विश्वास का केंद्र था।

दूसरी सदी तक जाकर कुछ ईसाई विद्वानों (जैसे क्लेमेंट ऑफ अलेक्ज़ेंड्रिया) ने यीशु के जन्म की तिथि निर्धारित करने का प्रयास किया, कुछ ने 20 मई, कुछ ने 6 जनवरी, और कुछ ने 25 दिसंबर मानी। पर उस समय कोई एक समान तिथि नहीं थी।

25 दिसंबर की तारीख कैसे तय हुई?

इतिहास(Christmas history in Hindi) के दस्तावेज़ बताते हैं कि रोम में पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया गया। एक प्राचीन रोमन कैलेंडर Chronograph of 354 में इसका उल्लेख मिलता है, “25 दिसंबर — Christ was born in Bethlehem of Judea.”

यह तिथि लगभग 336 ईस्वी की है। यानी, क्रिसमस एक आधिकारिक पर्व के रूप में चौथी शताब्दी में स्थापित हुआ।

25 दिसंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह दिन “Sol Invictus” (अजेय सूर्य) का त्योहार था, रोमन लोग इस दिन सूर्य की वापसी का उत्सव मनाते थे (Winter Solstice)।

और इस प्रतीकात्मक दिन को एक नया अर्थ मिला, “अंधकार के बीच एक नया प्रकाश, ठंड के मौसम में एक दिव्य ऊष्मा, यीशु मसीह के रूप में उदय हुआ है।”

पहली बार कैसे मनाया गया क्रिसमस?

प्राचीन ईसाई ग्रंथ(Christmas history in Hindi) बताते हैं कि पहला आधिकारिक क्रिसमस उत्सव लगभग 336 ईस्वी में रोम में मनाया गया। उस समय प्रार्थना सभाएँ, स्तुतिगीत और शांति की घोषणाएँ होती थीं। यह कोई बड़ा त्यौहार नहीं था, यह एक धार्मिक आराधना थी, जिसमें विश्वासी Mass (प्रार्थना सभा) में एकत्र होते, मसीह के जन्म पर बाइबल के पद पढ़े जाते, और गरीबों को भोजन व सहायता दी जाती।

धीरे-धीरे यह आराधना आनंद, भक्ति और दान का पर्व बन गई। गरीबों को दान देना, झोपड़ियों में रोशनी जलाना, और भजनों का गान, यही शुरुआती क्रिसमस का रूप था।

कैसे फैल गया क्रिसमस — यूरोप से विश्व तक

रोम से यूरोप

जब सम्राट कॉनस्टेंटाइन (Constantine the Great) ने 313 ईस्वी में ईसाई धर्म को वैधता दी, तो उत्सव भी आधिकारिक हो गए। क्रिसमस(Christmas history in Hindi) धीरे-धीरे यूरोप के हर हिस्से में फैल गया।

जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, और स्कॉटलैंड में इस पर्व ने स्थानीय परंपराएँ अपना लीं —

  • जर्मनी में क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) का चलन शुरू हुआ।
  • इंग्लैंड में क्रिसमस कैरोल्स (Christmas Carols) गाए जाने लगे।
  • फ्रांस में यूल लॉग (Yule Log) जलाने की प्रथा बनी।

मिशनरियों और औपनिवेशिक काल का प्रभाव

मध्य युग में जब ईसाई मिशनरी विभिन्न देशों में गए, तो उन्होंने क्रिसमस(Christmas history in Hindi) का संदेश प्रेम और करुणा के साथ फैलाया। भारत, अफ्रीका, चीन और लैटिन अमेरिका में यह पर्व स्थानीय संस्कृतियों के साथ मिलकर एक सार्वभौमिक प्रेम के प्रतीक के रूप में उभरा।

भारत में क्रिसमस का पहला ऐतिहासिक(Christmas history in Hindi) उल्लेख 1600 के दशक में गोवा में मिलता है, जहाँ पुर्तगाली मिशनरियों ने इसे प्रचार, प्रेम और सेवा के माध्यम से मनाया। गोवा, केरल, झारखंड और पूर्वोत्तर भारत के साथ साथ आज यह पर्व पुरे देश में केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समुदायों को जोड़ने वाला उत्सव बन गया, आशा, दया और एकता का प्रतीक बन चुका है।

गरीबों में उपहार बाँटना, बीमारों की सेवा, और समाज के वंचितों को अपनाना, यही असली “Christmas Spirit” है।

क्रिसमस के प्रतीक और उनकी उत्पत्ति

क्रिसमस ट्री (Christmas Tree)

इस परंपरा की शुरुआत 16वीं सदी के जर्मनी से मानी जाती है। कहा जाता है कि सुधारक मार्टिन लूथर ने एक पेड़ पर मोमबत्तियाँ सजाईं, ताकि अपने बच्चों को दिखा सकें कि कैसे तारे रात में चमकते हैं जैसे मसीह की रोशनी हमारे जीवन में।

आज यह पेड़ जीवन, आशा और अनंतता का प्रतीक बन चुका है।

सांता क्लॉज़ (Santa Claus)

क्रिसमस के साथ एक और नाम जुड़ा है, संत निकोलस (Saint Nicholas), 4वीं सदी के एक बिशप, जो गरीब बच्चों को गुप्त रूप से उपहार देते थे।

उनकी उदारता और करुणा ने बाद में “Santa Claus” का रूप लिया, जो आज भी याद दिलाता है कि देना ही क्रिसमस का असली सार है

यीशु ने भी कहा था, “लेने से देना अधिक आशीष का कारण है।” (प्रेरितों के काम 20:35)

क्रिसमस की रोशनी और मोमबत्तियाँ

रोशनी परमेश्वर के वचन का प्रतीक है, “अंधकार में ज्योति चमकती है, और अंधकार ने उसे नहीं दबाया।” (यूहन्ना 1:5)

मोमबत्तियाँ जलाना यह याद दिलाता है कि, हमारे जीवन में भी मसीह की ज्योति जलनी चाहिए, जो अंधकार, निराशा और पाप को मिटा दे।

आधुनिक युग में क्रिसमस – व्यर्थता या अवसर?

आज क्रिसमस, चमकती रोशनी, केक, और शॉपिंग मॉल में सीमित हो गया है। आज क्रिसमस का बाहरी रूप बहुत बदल चुका है। लेकिन हमें याद रखना चाहिए, क्रिसमस की असली भावना खरीदने या सजाने में नहीं, बल्कि देने और साझा करने में है।

इसका सच्चा अर्थ खोने न दें। यह समय है रुकने का, सोचने का, और खुद से पूछने का, “क्या यीशु वास्तव में मेरे दिल में जन्मे हैं?, “क्या मैं किसी के जीवन में यीशु की तरह प्रकाश बन रहा हूँ?”

अगर किसी अकेले दिल में मुस्कान लौट आई, किसी टूटे रिश्ते में क्षमा आ गई, किसी भूखे को रोटी और प्रेम मिला, तो वही असली क्रिसमस का चमत्कार है।

क्योंकि अगर मसीह हमारे भीतर नहीं जन्मे, तो लाखों रोशनियाँ भी अंधकार मिटा नहीं सकतीं। क्रिसमस हमें सिखाता है, प्रेम बाँटो, क्षमा करो, और दूसरों के लिए प्रकाश बनो।

अंतिम शब्द : जब क्रिसमस दिल में जन्म लेता है

इतिहास(Christmas history in Hindi) कहता है कि क्रिसमस रोम से शुरू हुआ, पर सच्चाई यह है, क्रिसमस वहीं शुरू होता है, जहाँ दिल में प्रेम जन्म लेता है।

जब एक माँ अपने बच्चे को क्षमा सिखाती है, जब एक पिता अपने परिवार के लिए प्रार्थना करता है, जब कोई युवा अकेले व्यक्ति को साथ देता है, तभी क्रिसमस सच्चा होता है।

मसीह ने कहा, “मैं जगत की ज्योति हूँ; जो मेरे पीछे चलता है वह अंधकार में न चलेगा।” (यूहन्ना 8:12)

इसलिए क्रिसमस केवल बीते इतिहास(Christmas history in Hindi) का पर्व नहीं, यह हर दिन, हर हृदय में दोहराया जाने वाला चमत्कार है।

Frequently Asked Questions (FAQs) about Christmas history in Hindi

1. क्रिसमस की शुरुआत कहाँ और कैसे हुई?

क्रिसमस की शुरुआत(Christmas history in Hindi) यीशु मसीह के जन्म से हुई, जो लगभग 2000 वर्ष पहले बेथलेहम नामक छोटे से गाँव में हुआ था। यह दिन परमेश्वर के प्रेम के पृथ्वी पर प्रकट होने का प्रतीक है। हालाँकि इस पर्व को औपचारिक रूप से चौथी शताब्दी में रोम साम्राज्य ने मान्यता दी, पर इसका वास्तविक आरंभ तो तब हुआ जब परमेश्वर ने मानवता से प्रेम करने का निर्णय लिया, और वह प्रेम एक शिशु के रूप में हमारे बीच जन्मा।

2. क्रिसमस 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

25 दिसंबर को प्राचीन रोम में “Sol Invictus” (अजेय सूर्य का उत्सव) मनाया जाता था, जब सर्दी के बाद सूर्य की किरणें फिर से बढ़ने लगती थीं। ईसाई विद्वानों ने इस दिन को नया अर्थ दिया, क्योंकि यीशु ही हैं “धार्मिकता का सूर्य (Sun of Righteousness)” जो अंधकार को मिटाकर नया प्रकाश लाते हैं। इसलिए 25 दिसंबर को अब संसार “सच्चे प्रकाश” – यीशु मसीह के जन्म के रूप में मनाता है।

3. क्या क्रिसमस का उल्लेख बाइबल में मिलता है?

बाइबल में “क्रिसमस” शब्द नहीं मिलता, लेकिन यीशु के जन्म की कथा बाइबल के मत्ती (Matthew) और लूका (Luke) के सुसमाचारों में विस्तार से लिखी गई है। वहाँ बताया गया है कि कैसे मरियम और यूसुफ बेथलेहम पहुँचे, कैसे स्वर्गदूतों ने चरवाहों को संदेश दिया, और कैसे पूर्व से ज्ञानी लोग (मागी) तारा देखकर नवजात यीशु को ढूँढ़ने आए। यही घटनाएँ आगे चलकर क्रिसमस की नींव बनीं।

4. क्या क्रिसमस केवल ईसाई धर्म का त्योहार है?

क्रिसमस निश्चित रूप से यीशु मसीह के जन्म का पर्व है, पर इसका संदेश धर्म से ऊपर, मानवता के लिए है। यह हमें प्रेम, क्षमा, शांति और सेवा का जीवन जीना सिखाता है। आज दुनिया के हर कोने में, हर धर्म और संस्कृति के लोग क्रिसमस को प्रेम और एकता के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। क्योंकि यीशु का जन्म सभी के लिए “अच्छी खबर” है, “पृथ्वी पर शांति और मनुष्यों में परमेश्वर की प्रसन्नता।”

5. क्रिसमस का सच्चा अर्थ क्या है?

क्रिसमस का सच्चा अर्थ है, परमेश्वर का मनुष्य से प्रेम का प्रकट होना। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम चाहे कितने भी खोए हुए हों, पर परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ता। वह हमारे बीच आया ताकि हम जान सकें, प्रेम अभी भी जीवित है, आशा अभी भी संभव है, और प्रकाश हमेशा अंधकार पर विजय पाता है।

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